‘नशा’ एक ऐसी बुराई है जिससे इन्सान का ”अनमोल जीवन” समय से पहले ही ‘मौत’ का शिकार हो जाता है | नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, गुटखा, तम्बाकू सहित चरस, समैक, कोकीन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओ और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है| इन “जहरीले और नशीले पदार्थो” के सेवन से व्यक्ति को “शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि” पहुँचने के साथ इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता ही है साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक स्थिति को भी भारी नुकशान पहुचाता है नशे के आदी व्यक्ति को समाज में हेय कि दृष्टी से देखा जाता हैं नशा करने वाला व्यक्ति परिवार के लिए बोझ स्वरूप हो जाता है उसकी समाज एवम् राष्ट्र के लिया उप्योगता शून्य हो जाती है वह नशे से “अपराध” की ओर ‘अग्रसर’ हो जाता हैं तथा शांतिपूण समाज के लिए “अभिशाप” बन जाता है

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