शराबीपन या नशा (What is Alcoholism)


नशा एक निरंतर बढ़ने वाला रोग है नशा का कोई डाक्टरी इलाज या नशा उपलब्ध नही है इसके शिकार व्यक्ति प्रायः केवल इस रोग के विषाणुओं से ही नही बल्कि इस समाज के अज्ञान के कारण भी युद्ध हारने को विवश होते है क्योकि यह समाज शराबी या नशेबाज को रोगी व्यक्ति नही मानता इस रोग ने वैज्ञानिक, चिकित्सा एवम धर्म सम्बन्ध उच्च अनुसन्धान संगठनो को भी विफल कर दिया है|


शायद आप यह अनुभव करते होंगे कि आप एक शराबी नही है क्योकि आप सुबह को शराब नही पीते है या केवल हफ्ते के अंत में पीते है या आप लम्बे समय तक शराब वगैर रह सकते है या आपने अभी तक अपना रोजगार या पत्नी , बच्चे नही खोयी है, याद रखिये कि शराबीपन में यह शामिल नही है कि आप कितनी बार पीते है, कितनी कम बार पीते हैं या आप कब पीते है या फिर आप कौन सी शराब पीते है ? शराबीपन का अर्थ है कि जब आप आप पीना नही चाहते लेकिन आप पी लेते है तो आप निश्चित रूप से एक शराबी हैं आप सामान्य सामाजिक मद्यपान की सीमा रेखा पार करके शराबीपन के दायरे में पहुँच गए है इसका मतलब है कि आप इस रोग के शिकार हो चुके है और समय के साथ यह बद से बदतर होता जायेगा | इसका अंत होगा , पागलपन या समय से पहले मृत्यू | नशा से हुई सबसे भयंकर चीजो में से एक होती हैं जिसकी आप कल्पना भी नही कर सकते है फिर भी एक तीसरा रास्ता हैं और यह है कि शराब या नशा का पूरी तरह से त्याग |

अनुभूतियों और संवेदनाओं का केन्द्र मनुष्य का मस्तिष्क है। सुख-दुःख का, कष्ट-आनंद का, सुविधा और अभावों का अनुभव मस्तिष्क को ही होता है तथा मस्तिष्क ही प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में बदलने के जोड़-तोड़ बिठाता हैं। कई व्यक्ति इन समस्याओं से घबरा कर अपना जीवन ही नष्ट कर डालते है, परन्तु अधिकांश व्यक्ति जीवन से पलायन करने के लिए कुछ ऐसे उपाय अपनाता है, जैसे शतुरमुर्ग आसन्न संकट को देखकर अपना सिर रेत में छुपा लेता है। इस तरह की पलायनवादी प्रवृतियों में मुख्य है मादक द्रव्यों की शरण में जाना। शराब, गांजा, भांग, चरस, अफीम, ताडी़ आदि नशे वास्तविक जीवन से पलायन करने की इसी मनोवृत्ति के परिचायक है। लोग इनकी शरण में या तो जीवन की समस्याओं से घबरा कर जाते है अथवा अपने संगी-साथियों को देखकर इन्हें अपना कर पहले से ही अपना मनोबल चौपट कर लेते है।
मादक द्रव्यों के प्रभाव से वह अपनी अनुभूतियों, संवेदनाओं तथा भावनाओं के साथ-साथ सामान्य समझ-बूझ और सोचने-विचारने की क्षमता भी खो देता है। मादक द्रव्य इतने उत्तेजक होते हैं कि सेवन करने वाले को तत्काल ही अपने आसपास की दुनिया से काट देते है और उसे विक्षिप्त कर देते है।

दो उदाहरण जो मादक द्रव्यों के प्रभाव एवं उनकी विध्वंसता को दर्शाते हैं :-

  1. कैलिफोर्नियां के एक एल॰एस॰डी॰ प्रेमी को नशे की झोंक में यह सनक सवार हो गई कि वह पक्षियों की तरह हवा में उड़ सकता है। इसी सनक को पूरा कर दिखाने के लिए वह एक इमारत की दसवी मंजिल पर चढ़ा और वहां से कूद पडा़ और मौत का शिकार बन गया।
  2. एक होस्टल में रह रहे दूसरे विद्यार्थी को नशे में यह विभ्रम हो गया कि वह अपने आकार से दुगुना हो गया है और उसके पैर छह फुट लंबे हो गए हैं। छह फुट लंबे पैर से उसने पास वाली मंजिल पर कूदने के लिए उसी अंदाज से छलांग लगाई और वह आठ मंजिल से नीचे जमीन पर गिर पड़ा।

कोई भी ऐसी वस्तु जिसकी मांग हमारा मस्तिष्क करता है किंतु उससे शरीर का नुकसान हो नशा कहलाता है। मानसिक स्थिति को उत्तेजित करने वाले रसायन जो नींद, नशे या विभ्रम की हालत में शरीर को ले जाते हैं वो ड्रग्स या मादक दवाएं कहलाती है।

नशे को दो भागों में बांटा जा सकता है।

  1. पारंपरिक नशा- इसके अंतर्गत तम्बाकू , अफीम, भुक्की, खैनी, सुल्फा एवं शराब आते हैं या इनसे निर्मित विभिन्न प्रकार के पदार्थ।
  2. सिंथेटिक ड्रग्स- इसके अंतर्गत स्मैक, हेरोइन, आइस, कोकीन, क्रेक कोकीन, LSD, मारिजुआना,एक्टेक्सी, सिलोसाइविन मशरूम, फेनसिलेडाईन मोमोटिल, पारवनस्पास, कफसिरप आदि मादक दवाएं आती हैं।
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