Lets make our country addiction free – आओ बनाए नशा मुक्त देश
बदलती हुई सामाजिक मान्यताएं, कुछ नया करने की चाहत, तरह-तरह के तनाव आदि तमाम ऐेसे कारण हैं, जिनकी वजह से समाज में नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसके शिकार में युवा वर्ग का प्रतिशत तेजी से बढ़ा है।
युवाओं में नशे की शुरूआत आमतौर से स्कूल के अंदर मीठी सुपारी और सादे मसाले से होती है, जो धीरे-धीरे तम्बाकू युक्त गुटखा और सिगरेट से होती हुई नशीली दवाओं तक जा पहुंचती है। साथियों के दबाव अथवा सामाजिक चक्रव्यूहों में फंसे बच्चे जब एक बार इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं, तो उन्हें इस दलदल से निकालना बेहद दुष्कर हो जाता है। लेकिन यदि अभिभावक बच्चों पर बराबर नजर रखें और उनकी गतिविधियों का अध्ययन करते रहें, तो उनके व्यवहार और चाल-ढ़ाल को देखकर इस बीमारी को शुरू में ही पकड़ा जा सकता है।
उपचार के लिए सबसे जरूरी है – व्यक्ति में नशा छोड़ने की कटिबद्धता और प्रबल इच्छा शक्ति होना। उपचार मुख्यतः किसी नशाविमुक्ति केन्द्र या अन्य स्रोतों के द्वारा संभव है। उपचार में सबसे पहले विनिवर्तन लक्षण (विड्राल सिम्टम्स) को ठीक किया जाता है जिसे निराविषीकरण (Detoxification) कहते हैं। उसके बाद विभिन्न जैविक और मनोवैज्ञानिक उपचार आगे जारी रखने के लिए उपलब्ध हैं। मनोवैज्ञानिक उपचार- प्रेरक साक्षात्कार (Motivation Interviewing), समूह चिकित्सा (Group Therapy) व Relapse Prevention आदि काफी महत्वपूर्ण हैं। चिकित्सक मनोवैज्ञानिक व मरीज के सतत् प्रयासों से इस पर काबू पाया जा सकता है।
कोई व्यक्ति जो मादक द्रव्यों का आदी हो गया है उस व्यक्ति के अन्दर इन पदार्थों को छोड़ने की इच्छा शक्ति होना आवश्यक है, यदि नहीं है तो मनोवैज्ञानिक इसके लिए आपकी मदद कर सकते है। याद रखें, नशा एक जहर है, आपको इससे बचने तथा इसके इलाज करने में देरी नहीं करना चाहिए।